पाक ग्रंथ कुरआन को समझने के लिए कुछ मुख्य बातें हैं जिनका ध्यान रखना अनिवार्य हैः-
कुरआन मजीद का ज्ञान नाजिल करने वाले खुदा ने अपने नबी-ए-करीम मुहम्मद (सल्लम) को सृष्टि की उत्पत्ति करने वाले अल्लाह के विषय में सम्पूर्ण जानकारी नहीं दी है। प्रमाण:- सूरः फुरकानि-25 आयत नं. 59 में लिखा है कि (हे मुहम्मद) अल्लाह ने सारी कायनात को छः दिन में उत्पन्न किया। फिर आसमान में तख्त (सिंहासन) पर जा बैठा। उसकी (खबर) सम्पूर्ण जानकारी किसी (बाखबर) जानकार यानि तत्त्वदर्शी संत से पूछो।(जानो)
सूरः अश शूरा-42 आयत नं. 1-2 में (कोड वर्ड) सांकेतिक शब्द हैं। उनका ज्ञान किसी मुसलमान को नहीं है जो अहम हैं। आयत नं. 1) ’’हा. मीम्, अैन. सीन. काफ. ’’ ये अक्षर लिखे हैं जो जाप करने का नाम है। नाम के जाप बिन जीव का कल्याण नहीं हो सकता।
नबी मुहम्मद जी को कुरआन ज्ञान देने वाला खुदा प्रत्यक्ष नहीं मिला। पर्दे के पीछे से नमाज आदि करने का हुक्म हुआ था।
नबी मुहम्मद जी को डरा-धमकाकर कुरआन मजीद वाला ज्ञान नाजिल किया (उतारा)। नबी मुहम्मद (सल्लम) ने बताया था कि मेरा गला घोंट-घोंटकर जबरिल फरिश्ते ने कुरआन ज्ञान पढ़ने के लिए विवश किया। तीसरी बार जब गला भींचा तो लगा कि मेरी जान निकल जाएगी। एक प्रकार की वह्य (संदेश) जब आती थी तो उसमें नबी जी को बहुत कष्ट होता था। यह वह्य जब आती थी तो घंटियाँ बजती सुनाई देती थी। नबी जी ने बताया कि मुझे बहुत कष्ट होता था।
कुरआन मजीद में माँस खाने की आज्ञा है, परंतु सृष्टि की उत्पत्ति करने वाले कादर अल्लाह ने बाईबल ग्रंथ में उत्पत्ति विषय के अध्याय में मनुष्यों के खाने के लिए बीज वाले छोटे-छोटे पेड़ (पौधे) तथा फलदार वृक्षों के फल बताए हैं।
नबी मुहम्मद जी की शेष मेअराज सत्य हैं जो इस प्रकार हैं:-