शेष मेअराज

शेष मेअराज

 (Al Miraj)

पवित्र कुरआन मजीद का अमृत ज्ञान पाक आत्मा हजरत मुहम्मद जी को मिला। हजरत मुहम्मद जी थे तो कुरआन का ज्ञान हमारे बीच में है। इसलिए नबी मुहम्मद जी का अनुभव कुरआन मजीद से कम महत्व नहीं रखता।

अल्लाह के रसूल मुहम्मद जी की जीवनी में एक अनमोल प्रसंग है जो इस प्रकार हैः-

एक सुबह नबी मुहम्मद जी ने अपने साथियों को आपबीती बताई कहा कि आज रात्रि में जबरील फरिस्ता आया। मेरे सीना चाक करके (खोल करके) पवित्र वस्तु डाली और फिर वैसा ही कर दिया। फिर मेरे को एक बुराक नामक (खच्चर जैसे) जानवर पर बैठाकर आकाश में उड़ा ले गया। प्रथम आसमान पर जन्नत (स्वर्ग) में ले गया। वहाँ एक आदमी जन्नत तथा जहन्नम के मध्य में बैठा था। जन्नत (स्वर्ग) की ओर मुख करता था तो खिल-खिलाकर हँसता था। तब जहन्नम (नरक) की ओर देखता था तो फूट-फूटकर रोने लगता था। मैंने (नबी मुहम्मद जी ने) जबरील फरिस्ते से पूछा कि हे जबरील! यह आदमी कौन है? तथा यह दाँई (right) ओर मुख करता है तो खिल-खिलाकर हँसता है तथा बाँई (left) ओर देखता है तो रोने लगता है। कारण क्या है?

जबरील फरिस्ते ने बताया कि यह सब आदमियों का पिता आदम जी है। बायीं ओर दोजख (नरक) है। नरक में इसकी बुरे कर्म करने वाली संतान है, वह नरक में कष्ट भोग रही है जो अल्लाह के बताए भक्ति मार्ग पर नहीं चली। उसे दुःखी देखकर रोता है तथा दायीं ओर जन्नत है। उसमें इनकी वह संतान है जिसने अल्लाह के आदेशानुसार इबादत की जो महासुखी है। उसे देखकर खुशी से हँसता है। हजरत मुहम्मद जी ने आगे बताया कि जब मैं जबरील के साथ बाबा आदम के निकट गया तो उन्होंने कहा कि आओ नेक नबी! नेक बेटे! यह कहकर मेरे को सीने से लगाया और कौम की उन्नति करने का आशीर्वाद दिया। फिर जबरील फरिस्ता मुझे आगे जन्नत में ऐसे स्थान पर (दूसरे आसमान पर) ले गया जहाँ पर नबियों की जमात बैठी थी। हजरत दाऊद जी, हजरत मूसा जी, हजरत ईसा आदि एक लाख अस्सी हजार नबी वहाँ उपस्थित थे। उन्होंने मेरे को विशेष सम्मान दिया। मैंने उन सबको नमाज अदा करवाई। इसके पश्चात् जबरील ने मेरे को ऊपर जाने को कहा और जबरील तथा बुराक दोनों वहीं रह गए। मैं अकेला (नबी मुहम्मद जी) आगे गया, सीढ़ियां चढ़ी। तब पर्दे के पीछे से आवाज आई कि पचास नमाज प्रतिदिन करो तथा अपने अनुयाईयों से करवाओ। रोजा रखो, अजान (बंग) लगाओ, जाओ। मैं वापिस आ गया जिस स्थान पर सब नबी मंडली बैठी थी। मुझे देखकर मूसा जी आए और पूछा कि अल्लाह ने क्या हुक्म फरमाया? मैंने (हजरत मुहम्मद जी ने) बताया कि मुझे तथा मेरी कौम को पचास समय नमाज करने का आदेश दिया है तथा रोजा (व्रत) तथा अजान (बंग) लगाने को भी कहा है। तब मूसा जी ने कहा कि प्रतिदिन पचास वक्त नमाज कौम नहीं कर पाएगी, कुछ कम करवाओ। वापिस जाओ, अर्ज करो। करते-कराते अंत में पाँच वक्त नमाज का हुक्म मिला। रोजा तथा अजान भी करना फरमाया।(जो वर्तमान में किया जा रहा है) नबी मुहम्मद जी ने फिर बताया कि फिर जन्नत के नजारे दिखाने के लिए मुझे जबरील फरिस्ता जन्नत में कई स्थानों पर ले गया। वहाँ की शोभा अनोखी है। अनेकों नेक आत्माएँ वहाँ निवास करती हैं। फिर जबरील ने मुझे बुराक पर बैठाकर वापिस जमीन पर छोड़ दिया। तब यह सत्य घटना बताई। जन्नत व जहन्नम में जो कुछ वर्तमान में है, उसके चश्मदीद गवाह (eye witness) नबी मुहम्मद जी हैं।

मौलवी साहेबान तर्क देते हैं कि बाबा आदम बायीं ओर बद-संतान के कर्म देखकर रो रहे थे। दायीं ओर नेक संतान के कर्म देखकर हँस रहे थे। उसकी संतान तो कब्रों में है। लेखक का वितर्क यह है कि आपके नियम के अनुसार तो हजरत आदम जी से हजरत ईसा जी तक को भी कब्रों में रहना चाहिए था जो नबी मुहम्मद जी ने ऊपर जन्नत में देखे, बातें की, उनको नमाज पढ़ाई। आदम जी क्या अच्छे-बुरे कर्म दीवारों पर देखकर हँस-रो रहे थे? उनके दायीं ओर स्वर्ग था तथा बायीं ओर नरक था। उनकी संतान भी जहन्नम तथा जन्नत में थी।

अन्य प्रमाण:- आसमान की यात्रा के बाद हजरत मुहम्मद से उसके चाचा ने पूछा कि तेरा दादा भी देखा। वह जन्नत में है या जहन्नम में? मुहम्मद जी ने कहा, जहन्नम (नरक) में देखा। यह सुनकर उनका चाचा मुहम्मद जी से बहुत नाराज हो गया और बोला, तू मेरे पिता जी को जहन्नम में बता रहा है। झूठा है। नबी जी ने कहा कि मैंने जो देखा, वही बताया है। मुहम्मद का चाचा पूरा विरोधी बन गया था। सच्चाई वही है जो ऊपर बताई है कि बाबा आदम की अच्छी-बुरी संतान नरक व स्वर्ग में देखी थी।

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