भूमिका

भूमिका

बिस्मिल्लाहिर्रमानिर्रहीम:- शुरू खुदा का नाम लेकर जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।

मैंने (लेखक संत रामपाल दास जी ने) सर्व पवित्र धर्मों के पवित्र ग्रन्थों का गहन अध्ययन किया। पता चला कि संसार में विशेषकर दो ताकत हैं जो सब जीवों को प्रभावित कर रही हैं।

  1. रहमान
  2. शैतान

इसी पुस्तक के अंत में लिखी सृष्टि रचना (creation of world) नामक अध्याय में पढ़ेंगे। उसमें आप जी को पता चलेगा कि रहमान यानि दयालु कादर (समर्थ) अल्लाह (परमेश्वर) सृष्टि का उत्पत्तिकर्ता, सबका पालन-पोषण करने वाला कौन है तथा ‘‘शैतान’’ कौन है? जो प्रत्येक प्राणी को धोखे में रखकर अपने जाल में फंसाता है। यह मानव को कुछ अच्छा तथा अधिक गलत ज्ञान प्रदान करता है।

कादर अल्लाह यथार्थ ज्ञान बताता है। शैतान (जिसे महापुरूषों ने ‘‘काल’’ कहा है) गुप्त रहता है। गुप्त रूप से अज्ञान व ज्ञान का मिश्रण मानव को देता है जो अधूरा अध्यात्म ज्ञान है। समर्थ परमेश्वर संत व सतगुरू (मुर्शिद) के रूप में प्रत्यक्ष प्रकट होकर यथार्थ सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान अपने मुख से बोलकर बताता है। परंतु सर्व मानव ने एक बात की रट लगा रखी है कि प्रभु (खुदा- God ,रब) निराकार है जबकि सर्व धर्मों के पवित्र ग्रन्थों में प्रमाण है कि खुदा मानव जैसा साकार है।

प्रमाण के लिए:- पवित्र बाईबल में उत्पत्ति अध्याय नं. 1 के श्लोक नं. 26 में कहा है कि ‘‘परमेश्वर ने छठे दिन कहा कि हम मानव को अपनी समानता में अपने जैसी शक्ल-सूरत का उत्पन्न करेंगे।’’ परमात्मा ने मानव को अपने जैसा उत्पन्न किया। (पवित्र बाईबल से लेख समाप्त)

इससे स्पष्ट है कि परमात्मा मानव जैसे आकार में है, निराकार (बेचून) नहीं है। ईसाई भाईयों ने रट लगा रखी है कि (God is formless) परमात्मा निराकार है। इसी प्रकार हिन्दू भाई भी परमात्मा को निराकार कहते हैं। श्री राम जी तथा श्री कृष्ण जी को पूजते हैं। उन्हें परमात्मा मानते हैं जो साकार मानव सदृश थे।

इसी प्रकार मुसलमान भाई कहते हैं कि अल्लाह बेचून (निराकार) है। फिर यह भी कहते हैं कि खुदा सातवें आसमान पर तख्त (सिंहासन) पर बैठा है। जब सिंहासन पर बैठा है तो वह साकार मानव समान है। जब अल्लाह पृथ्वी पर आता है तो इसी भ्रम में उसे पहचानने में धोखा खा जाते हैं। उसके यथार्थ सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान को अपने अज्ञान के कारण झूठा मानकर स्वीकार नहीं करते तथा न उसे खुदा मानते हैं।

इस पाक किताब ‘‘मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरआन’’ में यह शंका समूल समाप्त की गई है। कृपया दिल थामकर धैर्य के साथ पढ़ोगे तो दाँतों तले ऊँगली दबाते रहे जाओगे। लेखक ने इस पुस्तक को उस कादर खुदा द्वारा आसमान से स्वयं पृथ्वी पर आकर बताया यथार्थ सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान से प्रमाणों सहित लिखा है। मेरा उद्देश्य है कि विश्व के मानव को यथार्थ अध्यात्म ज्ञान बताऊँ। आश्चर्य की बात यह है कि जो ज्ञान प्रत्येक धर्म के पाक ग्रन्थों में लिखा है। उसे भी उस धर्म के अनुयाई ठीक से नहीं समझ सके। जिस कारण से मेरे को अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

यदि प्रत्येक धर्म के व्यक्ति अपने ग्रन्थों को यथार्थ रूप में समझे होते तो उनको समझाना आसान हो जाता। जैसे यदि विद्यार्थी आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई ठीक से पढ़ा हो तो उनको उच्च जमातों (कक्षाओं) की पढ़ाई पढ़ाना बहुत आसान होता है। जो दो जमा दो छः पढ़े हैं, उसी की रट लगाए हुए हैं। उनको यह समझाना कि दो जमा दो चार होते हैं, महाकठिन कार्य है। विरोध खड़ा हो जाता है कि नया अध्यापक गलत पढ़ा रहा है। जैसा कि ऊपर बताया है कि ‘‘पवित्र बाईबल’’ में लिखा है कि परमात्मा मानव जैसा साकार है। ईसाईयों को यदि कहता हूँ कि आप ने पवित्र बाईबल ठीक से नहीं समझा। आप गलत कह रहे हो कि God is Formless (परमेश्वर निराकार है) तो वे मुझे मूर्ख बताते हैं कि एक हिन्दू व्यक्ति कैसे समझ सकता है पवित्र बाईबल के ज्ञान को। हम प्रतिदिन पढ़ते हैं। यही दशा प्रत्येक धर्म के अनुयाईयों की है।

हिन्दू धर्म में पवित्र ग्रन्थों में प्रथम नाम वेदों का है। वेदों के ज्ञान को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 54 मंत्र 3 में प्रमाण है। लिखा है कि सर्व सृष्टि का उत्पत्तिकर्ता परमेश्वर सब लोकों के ऊपर के लोक में बैठा है।

ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 26-27 में तथा अनेकों स्थानों पर वेदों में लिखा है कि ‘‘परमेश्वर ऊपर के लोक में बैठा है’’ यानि निवास करता है। वहाँ पर सम्राट (राजा) की तरह सिंहासन पर विराजमान है। यथार्थ सम्पूर्ण अध्यात्मिक ज्ञान बताने के लिए सशरीर गति करके (चलकर) नीचे पृथ्वी आदि लोकों में प्रवेश करके, जो परमेश्वर की खोज में लगे हैं, उनकी उलझनों को सरल करता है। उन अच्छी आत्माओं को यथार्थ ज्ञान समझाता है। हिन्दू धर्म के व्यक्ति भी यह मानने को तैयार नहीं हैं कि ऐसा कुछ वेदों में वर्णन है। इसलिए मेरे को आलोचक कहते हैं। धर्म का विरोधी मानते हैं। मैंने प्रत्येक धर्म के पवित्र ग्रन्थों से सच्चाई उजागर की है। उसी के आधार से उस-उस धर्म के धार्मिक व्यक्ति को समझाना चाहा है। एक बार विरोध तो जोर-शोर से होता है। परंतु सत्य को अपने-अपने ग्रन्थों में देखकर शांत हो जाते हैं। परंतु उस सत्य को आँखों देखकर भी स्वीकार करने में आना-कानी करते हैं क्योंकि शैतान उनकी बुद्धि पर बैठ जाता है। उनको भयभीत करता है कि समाज के व्यक्ति क्या कहेंगे? तेरे को हानि हो जाएगी। ये हो जाएगा, वो हो जाएगा। जो बुद्धिमान व अल्लाह के सच्चे चाहने वाले हैं, उनकी तो खुशी का ठिकाना नहीं रहता। वे मेरे साथ मिलकर अपना मानव जीवन धन्य कर लेते हैं।

इस पुस्तक में सर्व ज्ञान पाक कुरआन व महापुरूषों की पवित्र अमृतवाणी से लिखा है। इसको पढ़कर पाठक को संदेह की गुंजाईश नहीं रहेगी।

मेरा उद्देश्य विश्व के मानव को भक्ति की सही दिशा देना है। सत्य की राह पर लगाना है। निःस्वार्थ प्रयत्न कर रहा हूँ। परमात्मा व सतगुरू को साक्षी मानकर भय मानकर परोपकार कर रहा हूँ। आशा करता हूँ कि विश्व का मानव वर्तमान में शिक्षित है। अपने-अपने पवित्र ग्रन्थों को स्वयं समझेगा और मेरे परोपकारी कार्य को सफल बनाने में मदद करेगा। अपना तथा अपने परिवार का कल्याण करवाएगा।

सर्व मानव का शुभचिंतक
रामपाल दास
(सतपुरूष का अंतिम नबी)

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