मुसलमान धर्म के उलमा (विद्वान) कहते हैं कि अल्लाह ताला धरती के ऊपर मानव सदृश कभी नहीं आता। जैसा हिन्दू धर्म की पुस्तक श्रीमद्भगवत गीता के अध्याय 4 के श्लोक 7-8 में कहा है। गीता अध्याय 4 श्लोक 7:-
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिः भवति भारतः।
अभ्युत्थानम् धर्मस्य तदा आत्मानाम् सृजामि अहम।।7।।
अर्थात् हे भारत (अर्जुन)! जब-जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है और धर्म की हानि होती है, तब-तब मैं अपने अंश अवतार पैदा करता हूँ। वे पृथ्वी पर जन्म लेते हैं।
गीता अध्याय 4 श्लोक 8:-
परित्राणाय साधूनाम विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।8।।
अर्थात् साधु-महापुरूषों का उद्धार करने के लिए, पापकर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की अच्छी तरह स्थापना करने के लिए अपने अवतार उत्पन्न करता हूँ। यह हम (मुसलमान) नहीं मानते।
मुसलमान धर्म प्रचारकों का कहना है कि जैसे इंजीनियर ने DVD Player बना दिया। उसको चलाने-समझने के लिए User Manual लिखकर दे दिया। Manual को पढ़ो और DVD Player चलाओ। इंजीनियर किसलिए आएगा?
यानि परमात्मा (अल्लाह) ने मानव (स्त्री-पुरूष) बनाया। फिर धर्मग्रंथ जैसे पवित्र कुरआन, बाईबल (तौरेत, जबूर तथा इंजिल) अल्लाह ने manual भेज दिए। इनको पढ़ो और अपने धर्म-कर्म करो।
यदि manual को जन-साधारण नहीं समझ पाता और उसका DVD Player काम नहीं करता तो इंजीनियर उसे manual समझाने आता है। जैसे अल्लाह कबीर ने सूक्ष्मवेद रूपी manual काल ब्रह्म (ज्योति निरंजन) के पास भेजा था। इसने सूक्ष्मवेद का अधूरा ज्ञान चार वेदों, गीता, कुरआन, जबूर, तौरेत तथा इंजिल, इन चार किताबों आदि ग्रंथों में भेज दिया। उस अधूरे ज्ञान रूपी manual को भी ठीक से न समझकर सर्व धर्मों के व्यक्ति शास्त्रों के विपरित साधना करने लगे तो कादर अल्लाह यानि इंजीनियर सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान (सूक्ष्मवेद) रूपी manual लेकर आया था और युगों-युगों में आता है। अच्छी आत्माओं को मिलता है। उनकी भक्ति में उलझन को सुलझाता है। उनको यथार्थ अध्यात्म ज्ञान बताता है। फिर वे संत अपनी गलत साधना को त्यागकर सत्य भक्ति करके मोक्ष प्राप्त करते हैं।
{कुरआन मजीद की सूरः अल हदीद-57 की आयत नं. 26-27 में कुरआन ज्ञान देने वाले ने कहा है कि ‘‘रहबानियत (सन्यास) की प्रथा उन्होंने (कुछेक साधकों ने) खुद आविष्कृत की। हमने उनके लिए अनिवार्य नहीं किया। मगर अल्लाह की खुशी यानि परमात्मा से मिलने की तलब में उन्होंने खुद ही यह नई चीज निकाली।’’ यह उन मुसलमान फकीरों के लिए कहा है जिनको कादर अल्लाह अपना नबी आप बनकर आता है और नेक आत्माओं को मिलता है। उनको अल्लाह की इबादत का सही तथा सम्पूर्ण ज्ञान देता है। फिर वे उस साधना को करने लगते हैं। अपने धर्म में प्रचलित इबादत त्याग देते हैं। उनका विरोध उन्हीं के धर्म के व्यक्ति करने लगते हैं। जिस कारण से वे सन्यास ले लिया करते थे। काल ब्रह्म (ज्योति निरंजन) प्रत्येक धर्म के व्यक्तियों को भ्रमित करके उनके अपने धर्म ग्रन्थों के विपरित इबादत बताता है। अपने दूत भेजता रहता है। तप करने की प्रेरणा करता है। कठिन साधना करने की प्रेरणा करता है।
परमात्मा प्राप्ति की तड़फ में साधक वह करने लगता है। पूर्ण परमात्मा (कादर अल्लाह) उनको मिलता है। यथार्थ आसान नाम जाप करने की विधि इबादत (पूजा) बताता है।}
उदाहरण के लिए:-
शेख फरीद जी पहले मुसलमान धर्म में प्रचलित साधना करते थे। फिर एक तपस्वी फकीर के बताए अनुसार गलत साधना कर रहे थे। स्वयं अल्लाह ताला जिंदा बाबा के वेश में उनको मिले। यथार्थ भक्ति विधि बताई। उनका कल्याण हुआ। {पढ़ें शेख फरीद के विषय में अध्याय अल-खिज्र (अल-कबीर) की जानकारी में पृष्ठ 196 पर।}
धर्मदास जी (बांधवगढ़) को मिले जो श्री राम, श्री कृष्ण (श्री विष्णु) तथा श्री शिव जी को पूर्ण परमात्मा मानकर इन्हीं की भक्ति पर दृढ़ था। पूर्ण ब्रह्म जिंदा बाबा के वेश में मथुरा शहर (भारत) में तीर्थ पर मिले। उस सच्चे मालिक की (अपनी) जानकारी दी। सत्य साधना की विधि बताई। धर्मदास जी ने अपनी गलत धारणा तथा गलत साधना त्यागकर सत्य साधना परमात्मा कबीर जी द्वारा बताई करके मानव जीवन धन्य किया।
दादू दास जी को मिले। उनको सत्य भक्ति बताई। उनका कल्याण किया।
स्वामी रामानंद जी महर्षि को काशी शहर (भारत) में मिले। जब अल्लाह ताला कबीर जी लीला करने के लिए धरती पर एक सौ बीस वर्ष रहे। स्वामी रामानंद जी ने अधूरा manual यानि चारों वेदों व गीता वाला ज्ञान भी ठीक से नहीं समझा था। गलत अर्थ कर रखे थे। गलत साधना श्री विष्णु जी को पूर्ण परमात्मा मानकर कर रहा था। समर्थ परमेश्वर कबीर जी ने स्वामी रामानंद जी को वेदों से व गीता से ही समझाया कि यदि आप मानते हैं कि गीता श्री कृष्ण ने कहा तो गीता अध्याय 2 श्लोक 12, अध्याय 4 श्लोक 5, अध्याय 10 श्लोक 2 में गीता ज्ञान दाता अपने को जन्म-मृत्यु के चक्र में बता रहा है। वह नाशवान है।
गीता अध्याय 2 श्लोक 17, अध्याय 15 श्लोक 17, अध्याय 18 श्लोक 46, 61-62 में तथा अध्याय 8 श्लोक 3, 8-10 तथा 20-22 में अपने से अन्य अविनाशी तथा पूर्ण मोक्षदायक परम अक्षर ब्रह्म के विषय में बताया है तथा उसी की शरण में जाने को कहा है।
स्वामी रामानंद जी वेदों तथा गीता यानि डंदनंस को ठीक से नहीं समझ पाए थे। उस manual को ठीक से समझाने के लिए अल्लाह ताला सृष्टि सृजनकर्ता कबीर जी को धरती पर आना पड़ा तथा सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान (सूक्ष्मवेद) बताना पड़ा। तब स्वामी रामानंद जी ने हिन्दू धर्म वाली गलत साधना त्यागकर यथार्थ भक्ति करके कल्याण करवाया।
संत गरीबदास जी {गाँव-छुड़ानी, जिला-झज्जर, हरियाणा (भारत)} को पूर्ण ब्रह्म एक जिंदा बाबा के वेश में सतलोक (सनातन परम धाम) से चलकर पृथ्वी पर आकर मिले। उनको ऊपर आसमान में उस अमर लोक में ले गए जहाँ पर कादर अल्लाह रहता है। (तख्त) सिंहासन पर बैठता है। अपना गवाह बनाकर वापिस शरीर में छोड़ा तथा यथार्थ अध्यात्म ज्ञान यानि सम्पूर्ण व सही manual दिया जो संत गरीबदास जी की वाणी यानि अमर ग्रंथ में लिखा है जिसके आधार से यह दास (लेखक) सब धार्मिक क्रिया करता तथा करवाता है।
बाईबल में (जो जबूर, तौरेत तथा इंजिल तीन पुस्तकों का संग्रह है, उसमें) पृष्ठ 30 पर उत्पत्ति अध्याय 26:1-3 में प्रमाण है कि यहोवा (परमात्मा यानि अल्लाह) ने इसहाक को दर्शन देकर कहा कि ’’मिस्र में मत जा। जो देश मैं तुझे बताऊँ, उसी में रह। मैं तेरे संग रहूँगा।‘‘
बाईबल में उत्पत्ति अध्याय में पृष्ठ 17 पर ’’वाचा का चिन्ह खतना‘‘ में अध्याय 17 श्लोक 1- 2 में लिखा है:- जब अब्राम निनानवे वर्ष का हो गया, तब योहवा (प्रभु) ने उसको दर्शन देकर कहा, ’’मैं सर्व शक्तिमान हूँ। मेरी उपस्थिति में चल और सिद्ध होता जा।‘‘
तैमूरलंग मुसलमान बहुत निर्धन था। उसकी माता जी बहुत धार्मिक थी। अतिथि व साधु-बाबाओं की सेवा करती थी। कई बार स्वयं भूखी रह जाती थी। अतिथियों व राह चलते लोगों को रोटी अवश्य खिलाती थी। एक दिन ऐसा ही आया कि घर में एक रोटी का आटा था। माता जी रोटी बनाकर बेटे तैमूरलंग के लिए जंगल में लेकर गई थी जो साहूकारों की भेड़-बकरियाँ चराया करता था। माता स्वयं भूखी रही। बेटे के लिए रोटी ले गई थी। तैमूरलंग खाना खाने लगा तो उसी समय अल्लाह ताला एक जिंदा साधु के वेश में आया और रोटी माँगी। कहा, बच्चा! कई दिन से भूखा हूँ। बहुत लोगों से भोजन माँगा, किसी ने नहीं दिया, जान जाने वाली है। {तैमूरलंग में माता वाले गुण थे। अच्छे संस्कार माता-पिता से मिले थे। पिता का इंतकाल हो चुका था।} तैमूरलंग ने उसी समय रोटी उठाकर साधु बाबा को दे दी। अल्लाह ताला कबीर जी ने रोटी खाई। जल पीया। जब अल्लाह रोटी खा रहा था, तब दोनों माँ-बेटे ने अर्ज की, हे बाबा! हम बहुत निर्धन हैं। इतना दे दो कि हम भी भूखे ना रहें, अतिथि न भूखा जाए। अर्ज कई बार की। खाना खाकर जिंदा वेशधारी अल्लाह ने एक सांकल (chain) जो गाय, भैंस या बकरे को खूँटे या पेड़ से बाँधने के लिए रस्से के स्थान पर प्रयोग की जाती है जो तैमूरलंग के पास ही रखी थी, उठाई। उसको तीन बार मोड़ा और प्यार से तैमूरलंग की कमर में गिनकर सात मारी। (जैसे एक, दो, तीन .... सात।) फिर लात मारी, मुक्के मारे। तैमूरलंग की माता ने विचार किया हमने बार-बार अर्ज की है, बाबा चिड़ गया। नाराज होकर लड़के को पीट रहा है। माई ने कहा, हे महाराज! हे अल्लाह की जात! मेरे बेटे ने क्या गलती कर दी? माफ करो। आपका बच्चा है। तब जिंदा वेशधारी बाबा ने कहा, माई! जो सात सांकल मारी हैं, तेरे बेटे को सात पीढ़ी का राज बख्श दिया है। जो लात-मुक्के मारे हैं, ये सात पीढ़ी के बाद तुम्हारा राज टुकड़ों में बंट जाएगा। यह कहकर जिंदा बाबा रूप अल्लाह अंतध्र्यान हो गए। समय आने पर तैमूरलंग राजा बना। भारत पर भी कब्जा किया। तैमूरलंग से लेकर औरंगजेब तक सात पीढ़ी ने दिल्ली पर राज किया। फिर राज टुकड़ों में बंट गया। इतिहास भी साक्षी है।
नानक देव जी (सिख धर्म के प्रवर्तक) को भी अल्लाह अकबर (कबीर परमेश्वर) मिले। श्री नानक देव जी, श्री रामचन्द्र, श्री कृष्ण अर्थात् विष्णु जी के परम भक्त थे। हिन्दू धर्म में जन्म हुआ था। श्रीमद्भगवत गीता का पाठ किया करते थे। ब्रजलाल पांडे उनको गीता पढ़ाया करता था। परमेश्वर कबीर जी उनको सुल्तानपुर लोधी शहर के पास बेई दरिया पर सुबह के समय मिले तथा सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान रूपी manual दिया। सच्चखंड (सतलोक) लेकर गए और वापिस छोड़ा। उसके पश्चात् श्री नानक देव जी ने हिन्दू धर्म में प्रचलित सब साधना त्यागकर एक परमेश्वर (सतपुरूष) की भक्ति करके जीवन धन्य बनाया।
उपरोक्त प्रमाणों से सिद्ध हुआ कि अल्लाह ताला कबीर सबका उत्पत्तिकर्ता पृथ्वी पर मानव की तरह भ्रमण करता है। यथार्थ अध्यात्म ज्ञान बताता है। इसी से संबंधित प्रकरण ’’अल-खिज्र (अल-कबीर) की जानकारी‘‘ अध्याय में इसी पुस्तक के पृष्ठ नं. 196 पर विस्तारपूर्वक लिखा है।
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