क्या हजरत मुहम्मद (सल्ल.) बाखबर हैं?

क्या हजरत मुहम्मद (सल्ल.) बाखबर हैं?

प्रश्न:- क्या हजरत मुहम्मद (सल्ल.) बाखबर नहीं हैं?

क्या इनके द्वारा बताई गई इबादत जैसे रोजे, नमाज, जकात देना इनके करने से जन्नत में नहीं जाया जाएगा, स्पष्ट कीजिए?

उत्तर:- इसका उत्तर यह है कि कुरआन की सूरः फुरकानि-25 आयत नं. 52-59 में कुरआन का ज्ञान देने वाला अल्लाह स्पष्ट कर रहा है जिसने सब सृष्टि के सब जीव उत्पन्न किए। वह कादर अल्लाह है। उसने छः दिन में सृष्टि की रचना की। फिर आसमान पर तख्त पर जा बैठा। उसकी खबर किसी बाखबर (तत्त्वदर्शी) संत से पूछो।

हजरत मुहम्मद जी को तो कुरआन वाला ज्ञान था। जब हजरत मुहम्मद का खुदा ही बाखबर नहीं है तो उसका भेजा नबी बाखबर कैसे हो सकता है? जब ज्ञान ही अधूरा (incomplete) है तो जन्नत में कैसे जाया जा सकता है? जब बाखबर नहीं है तो जन्नत में भी नहीं जा सकता। संत गरीबदास जी ने कहा है कि:-

नबी मुहम्मद नहीं बहिसत सिधाना। पीछे भूला है तुरकाना।।

अर्थात् नबी मुहम्मद ही (बहिसत) स्वर्ग नहीं गया। उसके पीछे लगकर सब (तुर्क) मुसलमान यथार्थ भक्ति मार्ग को भूले हुए हैं। वे भी जन्नत में नहीं जा सकते।

हजरत मुहम्मद (सल्ल.) कुरआन शरीफ को बोलने वाले खुदा के भेजे हुए पैगम्बर हैं ना कि अल्लाह कबीर के भेजे हुए। इसके लिए आप जी एक नजर जीवनी हजरत मोहम्मद (सल्ल.) पर डालें जिससे पता चलेगा कि हजरत मौहम्मद (सल्ल.) पाक आत्मा (रूह) को पूरी जीन्दगी दुःखों का सामना करना पड़ा। बचपन में ही अब्बू (पिता जी) अम्मी (माता जी) का साया उनके ऊपर नहीं रहा। उनके चाचा जी ने उनकी परवरिश की थी। जवान हुए तो दो बार विधवा (बेवा) हो चुकी खदीजा से निकाह हुआ। वो भी ज्यादा समय तक उनके साथ न रह सकी। तीन पुत्र तथा चार बेटी संतान हुई। उनकी आँखो के सामने उनके तीनों पुत्र भी इंतकाल को प्राप्त हुए। जिस खुदा की दिन-रात सच्चे दिल से इबादत नबी जी किया करते थे। उनके बताए कुरआन मजीद वाले ज्ञान का प्रचार करने में काफिरों के पत्थर खाए, सिर फुड़वाया। अनेकों यातनाएँ काफिरों ने दी। सब सहन करते हुए कुरआन का ज्ञान फैलाया। उस सारे संघर्ष तथा उसकी इबादत करने से हजरत मुहम्मद सल्ल. को पूरा जीवन दुःखों में गुजारना पड़ा और जीवन के आखिरी क्षणों में भी तड़फ-तड़फकर इंतकाल को प्राप्त हुए तो आप जी खुद ही अनुमान लगा सकते हो। वे काल ब्रह्म के नबी थे। खुदा कबीर (अल्लाहू अकबर) के भेजे हुए नहीं थे। इसलिए उनके द्वारा बताई गई इबादत (रोजे, नमाज और जकात देने, ईद-बकरीद मनाने आदि के करने) से जन्नत में नहीं जाया जा सकता। जन्नत में केवल एक कबीर खुदा की इबादत बाखबर संत रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण करके इनके द्वारा बताई भक्ति आजीवन मर्यादा में रहकर करके जन्नत में जाया जा सकता है न कि मोहम्मद सल्ल. को कुरआन ज्ञान दाता अल्लाह के द्वारा बताई गई साधना (इबादत) से।

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