हजरत मुहम्मद जी को कुरआन पुस्तक का ज्ञान कैसे मिला

हजरत मुहम्मद जी को कुरआन पुस्तक का ज्ञान कैसे मिला

कुरआन शरीफ अर्थात् कुरआन मजीद की प्राप्ति कैसे हुई? (कुरआन शरीफ वाला ज्यों का त्यों विवरण कुरआन मजीद में है)।

कुरआन मजीद - तर्जुमा, फतेह मुहम्मद खां साहब जालंधरी, प्रकाशक: महमूद एण्ड कम्पनी, मरोल पाईप लाईन, बम्बई-59, सोल एजेंट, फरीद बुक डिपो, देहली-6

उपरोक्त पुस्तक के: मुकदमा के पृष्ठ 6-7 पर लिखा है:-

कुरआन मजीद के उतरने और संग्रह व संकलन करने के हालात

उपरोक्त पुस्तक कुरआन मजीद के मुकदमा पृष्ठ 6-7 पर लिखें लेखक के लेख का निष्कर्ष:-

कुरआन मजीद (शरीफ) 23 वर्षों में पूरी लिखी गई। जब हजरत मुहम्मद जी की आयु 40 वर्ष थी उस समय से प्रारम्भ हुई तथा अन्तिम समय 63 वर्ष की आयु तक 23 वर्ष लगातार कभी एक आयत, कभी आधी, कभी दो आयत, कभी 10 आयत, कभी पूरी सूरतें उतरी हैं। इसी को शरीअत में ‘‘बह्य‘‘ कहते हैं।

विद्वानों ने लिखा है ‘‘वह्य(वह्य)‘‘ उतरने के भिन्न-भिन्न तरीके हदीसों में पेश किए हैं।

  • फरिश्ता ‘‘वह्य(वह्य)‘‘ ले कर आता था तो घंटियाँ सी बजती थी। नबी मुहम्मद जी की जान निकलने को हो जाती थी। यह तरीका ज्यादा कष्ट दायक नबी मुहम्मद जी के लिए होता था।

यह भी लिखा है कि हजरत मुहम्मद जी नुबूबत के बाद (चालीस वर्ष की आयु से नबी बनने के बाद) रमजान के दिनों में पूरा कुरआन मजीद (शरीफ) अल्लाह के पास से उस आसमान से जिसे हम देख नहीं सकते हैं अल्लाह (प्रभु) के हुकम (आज्ञा) से उतारा गया अर्थात् उसी अल्लाह के द्वारा बोला गया। इसके बाद हजरत जिबराईल को जिस समय, जिस कदर हुकम (आज्ञा) हुआ, उन्होंने पवित्र कलाम को बिल्कुल वैसा ही बिना किसी परिवर्तन के नबी मुहम्मद जी तक पहुँचाया।

  • कभी फरिश्ता दिल में कोई बात डाल दे।
  • फरिश्ता आदमी के रूप में आकर बात करे।

{नोट - हजरत मुहम्म्द जी की जीवनी में लिखा है कि जिस समय जिब्राईल फरिश्ता प्रथम बार वह्य (वह्य) लेकर आया मनुष्य रूप में दिखाई दिया, तो उसने मुहम्मद जी का गला घोंट कर कहा इसे पढ़ो। हजरत मुहम्मद जी ने बताया कि मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे, वह मेरा गला घोंट रहा हो। मेरे शरीर को दबा रहा हो। ऐसा दो बार किया फिर तीसरी बार फिर कहा पढ़ो। मुझे ऐसा लगा कि वह फिर गला घोटेंगा, इस बार और जोर से भींचेगा, मैं बोला क्या पढ़ूं ? कुरआन की प्रथम आयत पढ़ाई, वह मुझे याद हो गई। फिर फरिश्ता चला गया, मैं घबरा गया। दिल बैठता जा रहा था। पूरा शरीर थर-थर कांपने लगा। गुफा के बाहर आकर सोचा यह कौन था। फिर वही फरिश्ता आदमी की सूरत में दिखाई दिया, जहाँ देखूं वही दिखाई देने लगा। ऊपर, नीचे, दांए, बांए सब ओर। घर आकर चादर ओढ़कर लेट गया। सारा शरीर पसीने से भीगा हुआ था। मुझे डर है कि खदीजा कहीं मर न जाऊँ। फिर हजरत मुहम्मद जी ने अपनी पत्नी खदीजा को सारी बात बताई, फिर एक ‘बरका‘ नामक व्यक्ति ने हजरत मुहम्मद जी से सारी बातें सुन कर कहा आप ‘नबी‘ बनोगे। यही फरिश्ता मूसा जी के पास भी आता था। उपरोक्त विवरण से तो सिद्ध होता है कि फरिश्ता आदमी रूप में वह्य लाता था तो भी हजरत मुहम्मद जी को बहुत कष्ट हुआ करता।}

  • अल्लाह तआला जागते में नबी मुहम्मद (सल्ल) से कलाम फरमाए। भावार्थ है कि आकाशवाणी करके ब्रह्म स्वयं बोलता था।
  • अल्लाह तआला सपने की हालत में कलाम फरमाए।
  • फरिश्ता सपने की हालत में आकर कलाम करे(इस छठी व पाँचवी प्रकार पर विवाद है, शेष उपरोक्त कुरआन मजीद(शरीफ) के उतरने की 4 सही हैं।) पृष्ठ 29 पर लिखा है कि कभी स्वयं ‘‘वह्य(वह्य)‘‘ आती थी। भावार्थ है कि जैसे कोई प्रेत प्रवेश करके बोलता है। कभी नबी मुहम्मद चादर लपेट कर लेट जाते थे, फिर चादर के अन्दर से बोलते थे। 

पवित्र कुरआन मजीद(शरीफ) के मुकदमा के पृष्ठ 6-7 के लिखे लेख से स्पष्ट है कि कुरआन का ज्ञान पर्दे के पीछे रहने वाले अल्लाह ने दिया है। जिबराईल नामक फरिश्ते ने तो केवल संदेश वाहक का कार्य किया है। कुरआन ज्ञान देने वाला अपने से अन्य कादर सृष्टि की रचना करने वाले अल्लाह की महिमा बताता है। अपनी भी बताता है।

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