कुरआन ज्ञान उतारने वाला अल्लाह (प्रभु) कादर नहीं है

कुरआन ज्ञान उतारने वाला अल्लाह (प्रभु) कादर नहीं है

यह कैसे माना जाए कि कुरआन ज्ञान उतारने वाला अल्लाह (प्रभु) कादर नहीं है

प्रश्न:- कुरआन ज्ञान उतारने वाला अल्लाह (प्रभु) कादर नहीं है। यह कैसे माना जाए क्योंकि कुरआन मजीद में सूरः साद-38 आयत नं. 41-42 में प्रमाण है कि "अल्लाह ने बंदे अय्यूब की पुकार सुनकर उसे कहा कि जमीन पर लात मारो। पीने के पानी का चश्मा निकलेगा। अय्यूब ने वैसा ही किया और लात मारते ही पीने के ठंडे पानी का चश्मा बहने लगा।"

उत्तर:- आप जी इसी पुस्तक में सृष्टि रचना अध्याय में पढ़ें। उससे पता चलेगा कि कुरआन का ज्ञान उतारने वाला किस स्तर का खुदा है?

अल्लाह की परिभाषा समझें। ’खुदा‘ अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है स्वामी, प्रभु, मालिक।

उदाहरण से समझते हैं:- जैसे भारत देश में प्रांत (State) में मंत्री जी, मुख्यमंत्री जी के पद हैं। मंत्री जी केवल एक या अधिक विभाग का स्वामी (प्रभु) होता है। मुख्यमंत्री पूरे राज्य (प्रांत) का प्रभु (मालिक) होता है। प्रांत में अन्य राज अधिकारी भी होते हैं। जैसे पुलिस विभाग में डाॅयरेक्टर जनरल (DG) होता है जो पूरे प्रांत की पुलिस का प्रभु (मालिक) है।

उससे नीचे अन्य पद भी होते हैं, इंस्पैक्टर जनरल (IG), सुप्रीटेंडेंट आफ पुलिस (SP), डिप्टी सुप्रीटेंडेंट आफ पुलिस (DSP), फिर थानेदार (SHO) तथा अन्य पुलिस मुलाजिम होते हैं।

पूरे भारत देश का मालिक (प्रभु/स्वामी) राष्ट्रपति जी हैं। दूसरे नंबर पर प्रधानमंत्री जी पूरे भारत के मालिक (प्रभु) हैं। इनके बाद अन्य विभागीय मंत्रीगण अपने-अपने विभागों के प्रभु (मालिक) होते हैं। परंतु प्रधानमंत्री जी सब मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों से अधिक शक्तिमान (powerful) होते हैं।

सूक्ष्मवेद में लिखा है कि (जो कादर अल्लाह का बताया हुआ सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान है, उसमें कहा है कि):-

कबीर, जो जा की शरणां बसै, ताको ताकी लाज।
जल सौंही मछली चढ़ै, बह जाते गज राज।।

अर्थात् जो व्यक्ति जिस प्रभु (सहाब) का मित्र है, वह सहाब अपने स्तर का लाभ अपने मित्र को तुरंत सम्मान के साथ दे देता है जो जन साधारण को नहीं मिल सकता। जैसे किसी का दोस्त थानेदार (Station Headquarter Officer) है, वह थाने में किसी के काम के लिए जाता है तो उसका दोस्त दरोगा उसको सम्मान के साथ कुर्सी पर बैठाता है। चाय पिलाता है और अपने स्तर का काम तुरंत कर देता है। सामान्य जनताजन थाने में प्रवेश करते हुए भी डरता है। काम होना तो दूर की बात है।

इसी प्रकार यदि किसी की दोस्ती पुलिस के डी.जी. से है तो उसके लिए पूरे प्रांत में पुलिस के स्तर का कार्य तुरंत हो जाता है। जो कार्य SP, DSP, थानेदार भी नहीं कर सकते, वह भी डी.जी. के मित्र का हो जाता है।

इसी प्रकार प्रांत में मंत्री जी भी राहत दे सकता है, परंतु मुख्यमंत्री के समान लाभ नहीं दे सकता।

इसी प्रकार भारत के प्रधानमंत्री जी सब मुख्यमंत्रियों व केन्द्रीय मंत्रियों से अधिक लाभ दे सकते हैं। जिनकी दोस्ती प्रधानमंत्री से है, उसके काम देश में किसी भी स्तर के सहाब के पास हों, निर्बाध (बिना रोक-टोक के) हो जाते हैं।

वाणी का अर्थ है कि जैसे मछली की जल से सच्ची दोस्ती है। जल की दरिया (river) बह रही हो। उसमें चाहे पचास फुट का एकदम निचान (fall) है। ऐसे फाॅल (पानी नीचे गिरने वाले स्थान) पर पानी बहुत तेजी से नीचे गिरता है। उसके सामने यदि (गजराज) हाथियों में सबसे ताकतवर हाथी भी आ जाए तो वह जल प्रवाह उस हाथी को भी बहा ले जाता है। परंतु मछली उस फाॅल के नीचे वाले स्तर पर बह रहे जल से ऊपर वाले स्तर पर यानि पचास फुट ऊपर सम्मुख सीधे चढ़ जाती है यानि जल ने अपनी दोस्त मछली को अपने स्तर की सुविधा दे रखी है जिसे हाथी प्राप्त नहीं कर सकता।

अब आसानी से समझ सकेंगे कि कुरआन मजीद की सूरः साद-38 आयत नं. 41-42 में जो चश्मा लात मारने से अय्यूब के अल्लाह ने जमीन से निकाल दिया। कारण यह है कि प्रत्येक प्रभु में अपने स्तर की शक्ति है। कुरआन मजीद (शरीफ) का ज्ञान देने वाला काल ब्रह्म (ज्योति निरंजन) है। इसकी सत्ता इक्कीस ब्रह्मण्डों पर है। उनमें से एक ब्रह्मंड के सब लोकों में जीव हैं। जिस ब्रह्मंड में हम हैं, इसका प्रभु भी यह काल ब्रह्म है। इसके स्तर की साधना करने से यह चमत्कार करता है। इसके द्वारा बताई भक्ति क्रियाओं से जन्नत (स्वर्ग) में सदा नहीं रहा जा सकता। जन्म तथा मृत्यु का चक्र सदा बना रहेगा। कुत्ते, गधे, सूअर आदि पशुओं व पक्षियों, जीव-जंतुओं के शरीरों में कष्ट प्रत्येक जीव को उठाना पड़ता है। चाहे कोई भक्ति (इबादत) करे, चाहे ना करे। इबादत न करने वाले सीधे नरक में जाते हैं। फिर पशु, पक्षी आदि के जीवन भोगते हैं। इबादत करने वालों को कुछ समय स्वर्ग का सुख मिल जाता है। उनको भी नरक (जहन्नम) में गिरना पड़ता है। अन्य जीवों के शरीरों में भी कष्ट भोगना पड़ता है।

केवल सृष्टि उत्पन्न करने वाले कादर अल्लाह {जिसे गीता अध्याय 8 श्लोक 3 में परम अक्षर ब्रह्म कहा है तथा उसी की जानकारी इसी अध्याय के श्लोक 8-10 तथा 20-22 में तथा गीता अध्याय 15 श्लोक 17, गीता अध्याय 18 श्लोक 46, 61-62 में तथा अनेकों अन्य स्थानों पर गीता में है तथा कुरआन मजीद की सूरः फुरकान-25 आयत नं. 52-59, सूरः बकरा-2 आयत नं 255 तथा अन्य अनेकों सूरों में जिसको सम्पूर्ण जगत का उत्पत्तिकर्ता, परवरदिगार व शाशवत् (अविनाशी) बताया है} की इबादत करने से साधक सदा रहने वाले सुख स्थान सतलोक को प्राप्त करता है। वहाँ जाने के पश्चात् फिर कभी काल लोक में जन्म नहीं लेता।

जिस खुदा का भक्त अय्यूब था, उसी का भक्त भीम था। महाभारत ग्रंथ में प्रकरण है कि भीम अपनी माता तथा पत्नी द्रोपदी तथा अन्य चारों भाइयों के साथ हिमालय पर्वत पर गए। जल का अभाव था। सब प्यास से व्याकुल हो गए। भीम ने पैर को मोड़कर गोडा (knee) जमीन पर मारा। पत्थरों से मीठे जल का चश्मा बह चला। उस स्थान को भीम गोडा कहते हैं जो भारत के उत्तराखंड राज्य में हरिद्वार शहर के पास है।

केवल ऐसे चमत्कारों के होने से कादर खुदा नहीं माना जा सकता।

कादर खुदा कबीर जी ने अपने भक्त बीरदेव सिंह बघेल काशी के नरेश के लिए जंगल में ऊँची सूखी पहाड़ी के ऊपर मीठे जल का तालाब बना दिया। उसके चारों ओर फलदार वृक्षों का बाग लगा दिया क्योंकि राजा तथा उसके साथ सैंकड़ों सैनिक शिकार के लिए जंगल में बहुत आगे तक चले गए थे। वे सब भूख तथा प्यास से मरने लगे थे। प्राण जाने को हो गए थे। उनके जीवन की रक्षा की।

इस करिश्मे के साथ-साथ पूर्ण मोक्ष भी कबीर अल्लाह अपने भक्त को पूर्ण मोक्ष भी प्रदान करता है। भक्त को सदा सर्वश्रेष्ठ जन्नत में रहने के लिए स्थान देता है।

जो जितना प्रभु (खुदा) है, वह अपनी (लाज) इज्जत रखने के लिए अपने भक्त को अपने स्तर का लाभ देता है।

{कबीर अल्लाह ताला की समर्थता की अधिक जानकारी के लिए अध्याय ’’हजरत आदम से हजरत मुहम्मद तक‘‘ में पढ़ें ढ़ेर सारे प्रमाण।}

क्या जन्नत में भक्त सदा सुख से नहीं रहेंगे? →

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