प्रश्न:- कुरआन मजीद की सूरः साद-38 आयत नं. 45-51 में हमारे (मुसलमानों के) अल्लाह ने बताया है कि जो हमारे बंदों इब्राही और इस्हाक और याकूब, इस्माईल और अल् यसअ् तथा जुलकिफ्ल जैसे नेक व परहेजगार होंगे। उनके लिए जन्नत के दरवाजे खुले होंगे। वे वहाँ पर तकिये लगाकर बैठेंगे। उनके खाने के लिए बहुत सारे मेवे व फल होंगे तथा पीने के लिए शराब होगी तथा उनके पास नीची निगाह रखने वाली (शर्मीली) हमउम्र बीबियाँ (पत्नियाँ) होंगी। क्या इस जन्नत में भक्त सदा सुख से नहीं रहेंगे?
उत्तर:-जहाँ पर शराब पीने को मिलती हो तो वहाँ कोई कैसे सुखी रह सकता है तथा कैसे सदा रह सकता है? आप जी इसी पुस्तक ‘‘मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरआन’’ में पृष्ठ 68 पर पढ़ें ‘‘सर्वनाश के लिए शराब पीना पर्याप्त है।’’
स्वर्ग (जन्नत) में नल तथा कुबर नाम के दो देवता थे जो कुबेर देवता के पुत्र थे। एक दिन दोनों ने शराब पी ली और एक दरिया के किनारे नंगे होकर उत्पात मचाने लगे। उस दरिया में उसी स्थान पर देवताओं (फरिस्तों) की पत्नियाँ, बेटियाँ स्नान कर रही थी जो शर्म के मारे मुख फेरकर दरिया के जल में गहरे पानी में खड़ी थी। ऋषि नारद जी वहाँ से गुजर रहे थे। नल तथा कुबर ने ऋषि नारद जी की भी शर्म नहीं की। उसी प्रकार औरतों की ओर अभद्र संकेत करते रहे। ऋषि जी ने उनको समझाया परंतु शराब जो सिर में चढ़ी थी, नहीं माने। तो नारद ऋषि जी ने श्राप दे दिया कि तुम स्वर्ग (जन्नत) में रहने योग्य नहीं हो। पृथ्वी के ऊपर जड़ जूनी में वृक्षों के रूप में उत्पन्न होओ। दोनों की मृत्यु स्वर्ग में हो गई। दोनों पृथ्वी के ऊपर अर्जुन तथा जुमला के वृक्ष कालीदह नामक झील के किनारे उगे।
जहाँ शराब पीने को मिलती है और जो अल्लाह शराब का लोभ देकर अपनी इबादत में लगाता है, वह कादर अल्लाह नहीं है। वह काल ज्योति निरंजन है। सतलोक के अतिरिक्त किसी भी लोक की जन्नत (स्वर्ग) तथा महास्वर्ग यानि ब्रह्म लोक (बड़ी जन्नत) में कोई व्यक्ति सदा नहीं रह सकता। यह शत प्रतिशत सत्य है।
विशेष:- कुरआन मजीद की उपरोक्त सूरः साद-38 की आयत नं. 45-51 में यह भी लिखा है कि जन्नत (बहिसत) में जाने वालों को हमउम्र (अपनी आयु के समान आयु वाली) बीवियाँ (पत्नियाँ) मिलेंगी जो नीची निगाहों वाली यानि बड़ी शर्मीली होंगी।
इस काल ज्योति निरंजन अल्लाह (कुरआन का ज्ञान देने वाले अल्लाह) ने कहा कि (जैसा मुसलमान भाई बताते हैं कि) सब मानव कयामत तक मरते रहेंगे। उनको कब्रों में जमीन में दफनाते (दबाते) रहेंगे। जब कयामत (प्रलय) आएगी, सब जिलाये जाएँगे यानि जीवित किए जाएँगे। जो मुसलमान (आज्ञाकारी, अल्लाह के आदेशानुसार चलने वाले) हैं, उनको जन्नत में तथा काफिर (अवज्ञाकारी, बदी करने वाले) हैं, उनको जहन्नम (नरक) में रखा जाएगा।
विचार करो:- कोई तो दो वर्ष का मर जाता है, कोई दस वर्ष का, कोई जवान, कोई वृद्ध अस्सी-पचासी वर्ष का मरता है। उनकी हमउम्र बीवियाँ भी उसी आयु की मिलेंगी। साठ वर्ष के पुरूष की साठ वर्ष की बीवी होगी। सत्तर वर्ष के पुरूष की सत्तर वर्ष की बीवी होगी। ऐसे ही अन्य आयु वालों की दशा होगी। वे चाहे नीची निगाह वाली हों, चाहे ऊँची निगाह वाली हों। उनको जन्नत में खाक सुख मिलेगा?
यह काल ज्योति निरंजन का जाल है। इसके द्वारा भ्रमित ज्ञान दिया जाता है ताकि सब मानव पाप करके यहीं जन्मते-मरते रहें। नरक, स्वर्ग व अन्य पशु-पक्षियों के शरीरों में भटकते रहें।
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